Header Ads

Ab ke hum bichde to shayad kwaboon main mile .. Mehdi hassan ..

अब के हम बिच्दे तो शायद क्वाबों मैं मिलें

जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों मैं मिलें

अब वो ना मैं हूँ ,न वो तू है,और न वो माजी फराब ....

जैसे दो साए तम्मना के सराबों मैं मिलें

No comments

Powered by Blogger.